गुरुवार, 22 जून 2023

Krishna.जन्म: कृष्णा का जन्म 3228 ईसा पूर्व में भारत




 Krishna.

यद्यपि कृष्णा पुराणों और हिंदू धर्म में प्रमुख भगवान माने जाते हैं, तथापि वे इतिहासी रूप से मौजूद थे। यहां कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं कृष्णा के बारे में:


जन्म: कृष्णा का जन्म 3228 ईसा पूर्व में भारत के मथुरा नगर में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम वासुदेव और देवकी था।


बाल लीला: बचपन में, कृष्णा ने वृंदावन में गोपियों और गोपों के साथ अपार खेल-कूद की। उनकी मशहूर बांसुरी और माखन चोरी की कथाएं विख्यात हैं।


गीतोपदेश: कृष्णा ने अर्जुन को महाभारत युद्ध के समय "भगवद्गीता" का उपदेश दिया। इसमें उन्होंने अर्जुन के धर्मसंकट को दूर करने और उसे कर्तव्य के पथ पर प्रेरित किया।


द्वारका का निर्माण: कृष्णा ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में द्वारका नगर की स्थापना की, जिसे उन्होंने स्वयं शाश्वत महामारी से बचाया।


महाभारत युद्ध: 

कृष्णा महाभारत युद्ध के समय पांडवों के साथ थे और उन्हें समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपना सार्थक सभी पक्षों के बीच मध्यस्थता किया और धर्म के पक्ष में खड़े होकर अन्याय का विरोध किया।


भगवद्गीता: कृष्णा ने महाभारत युद्ध के पहले अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया। इस धार्मिक ग्रंथ में कृष्णा ने अद्वैतवाद और जीवन के उद्देश्य को समझाया।


मोक्ष और उपदेश: कृष्णा ने अपने जीवन के दौरान मोक्ष के मार्ग के बारे में भी उपदेश दिया। उन्होंने अपने भक्तों को आत्मा के महत्व की जागरूकता दिलाई और मोक्ष की प्राप्ति के लिए उचित मार्ग बताया।


परम प्रेमी: कृष्णा को राधा के साथ उनका परम प्रेमी माना जाता है। उनकी प्रेम कहानी और रासलीला गोपियों के साथ वृंदावन में विख्यात है। उनके प्रेम और अनन्य भक्ति के प्रतीक के रूप में उन्हें पूजा जाता है।

जीवन की शिक्षाएं: कृष्णा के जीवन में हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं मिलती हैं। उनका जीवन उदाहरण और उनके कर्मों से हमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण सिद्धांतों का संदेश मिलता है:


भगवान कृष्णा का महत्व और उनकी शक्ति: कृष्णा हमें इस बात का बोध कराते हैं कि भगवान की शक्ति अपार होती है और उन्हें विश्वास करने से हम सभी मुश्किलाएं पार कर सकते हैं।


कर्मयोग: कृष्णा ने भगवद्गीता के माध्यम से हमें कर्मयोग का उपदेश दिया है। उन्होंने बताया है कि हमें कर्म में लगे रहकर भगवान की उपासना करनी चाहिए और अपने कर्मों के फल को उनके हाथ में समर्पित करना चाहिए।


प्रेम की महत्वपूर्णता: कृष्णा ने प्रेम की महत्वपूर्णता को बताया है और उन्होंने अपने भक्तों के प्रति अपार प्रेम व्यक्त किया। उनके प्रेम और विश्वास के बारे में जानकर हमें अन्याय का सामना करते हुए भी प्रेम से रहने की प्रेरणा मिलती है।

धर्म और कर्म का संतुलन: कृष्णा ने हमें धर्म और कर्म के संतुलन की महत्वपूर्णता सिखाई है। उन्होंने बताया है कि हमें धार्मिक नीतियों का पालन करते हुए अपने कर्मों को संयमित रखना चाहिए। वे यह सिद्ध कराते हैं कि धर्म का पालन करते हुए भी हमें अपने कर्मों को ईमानदारी से निभाना चाहिए।


जीवन में संतुष्टि: कृष्णा के जीवन से हमें संतुष्टि की महत्वपूर्णता समझाई जाती है। उन्होंने यह सिखाया है कि हमें अपने जीवन के हर पहलू पर संतुष्ट रहना चाहिए और अपनी आत्मा की शांति और आनंद को प्राथमिकता देनी चाहिए।


मानवता के प्रति समर्पण: कृष्णा के जीवन में हमें मानवता के प्रति समर्पण का संदेश मिलता है। उन्होंने अपने जीवन के माध्यम से दिखाया है कि हमें दूसरों की मदद करने, दया और करुणा व्यक्त करने की आवश्यकता है।


कृष्णा के जीवन और उपदेशों से हमें अन्याय का विरोध करने, प्रेम और सहयोग का महत्व समझने, धार्मिक नीतियों का पालन करने,

कर्मयोग का अनुसरण करने, संतुष्टि और समर्पण के माध्यम से जीवन को सफल बनाने की प्रेरणा मिलती है। उनके जीवन ने हमें शिक्षा दी है कि सत्य, न्याय, धर्म और प्रेम के मार्ग पर चलना जीवन की सबसे महत्वपूर्ण दिशा है।


भगवान कृष्णा ने अपने जीवन में अनेक महान कर्म किए हैं और अपने उपदेशों के माध्यम से लोगों को आदर्श जीवन का मार्गदर्शन किया है। उनकी अनन्य भक्ति, प्रेम और विश्वास की प्रेरणा हमें अपने जीवन को धार्मिक और उच्चतम मान्यताओं के साथ जीने के लिए प्रेरित करती है।


भगवान कृष्णा के जीवन का अध्ययन करने से हमें धार्मिकता, प्रेम, ध्यान, समर्पण, संतुष्टि और सहयोग की महत्वपूर्णता समझ में आती है। उनके उपदेश और कर्मों से हमें एक सच्चे और समृद्ध जीवन की प्राप्ति के लिए आवश्यक गुणों का विकास करने की प्रेरणा मिलती है।

कृष्णा का जीवन हमें अन्याय के खिलाफ खड़ा होने, धर्म के मार्ग पर चलने, सत्य का पालन करने और न्याय का स्थापना करने की महत्वपूर्णता सिखाता है। उन्होंने महाभारत युद्ध में पांडवों के साथ संघर्ष किया, उन्हें समर्थन दिया और धर्म के पक्ष में अन्याय का विरोध किया।


उन्होंने भगवद्गीता के माध्यम से अर्जुन को धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का उपदेश दिया, जो सबके लिए मार्गदर्शन का स्रोत बना। उन्होंने बताया कि धर्म के पथ पर अन्याय के खिलाफ खड़ा होना और सत्य का पालन करना हमारा कर्तव्य है।


कृष्णा का जीवन हमें आत्मा के महत्व की जागरूकता दिलाता है और मोक्ष के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करता है। उन्होंने अपने भक्तों को उचित मार्ग और सच्चे प्रेम का ज्ञान दिया, जो आत्मिक विकास और मुक्ति की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं।


भगवान कृष्णा को उनकी रासलीला और उनके परम प्रेमी राधा के साथ वृंदावन में मिलने का संयोग भी विख्यात है


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